कोई बात नही /
Koi baat nahin / Saravgi, Alka & सरावगी, अलका
Material type: TextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi : Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2015.Description: 219 p. ; 20 cmISBN:- 8126708417
- 891.433 SAR
Item type | Current library | Call number | Status | Barcode | |
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Book | Ranganathan Library | 891.433 SAR (Browse shelf(Opens below)) | Available | 036218 |
कोई बात नहीं ''तभी हवा का एक झोंका न जाने क्या सोचकर एक बड़े से कागज के टुकड़े को शशांक के पास ले आया। उसने घास से उठाकर उसे पढ़ा - 'आदमी का मन एक गाँव है, शशांक ने सोचा, आदमी मन में ही तो अपने को और अपनी सारी बातों को छिपाकर रख सकता है...'' 'कोई बात नहीं' जैसे एक मंत्र है - हार न मानने की जिद और नई शुरुआतों के नाम। समय के एक ऐसे छौर में जब प्रतियागिता जीवन का परम मूल्य है ओर सारे निर्णय ताकतवर ओर सर्माि के हाथ में हैं, वेदना, जिजीविषा और सहयोग का यह आख्यान ऐस तमाम मूल्यों का प्रत्याख्यान है। मोटे तौर पर इसे शारीरिक रूप से कुछ अक्षम एक बेटे और उसकी माँ के प्रेम और दुख की साझेदारी की कथा के रूप में देखा जा सकता हे, पर इसका मर्म एक सुन्दर ओर सम्मानपूर्ण जीवन की आकांक्षा हे, बलिक इस हक की माँग है। शशांक सतरह साल का एक लड़ है जो दूसरों से अलग हे क्येांकि वह दूसरों की तरह चल और बोल नहीं सकता। कलकत्ता के एक नामी मिशनरी स्कूल मं पढ़ते वक्त अपनी गैरबराबरी को जीते हुए, उसका साबिका उन तरह-तरह की दूसरी गैरबरारियों से भी होता हरता है, जो उसी की तरह एक किस्म का जाति-बाहर या आउटकास्ट है - अलबत्ता बिलकुल अलग कारणों से। शशांक का जीवन चारों तरफ से तरह-तरह के कथा-किस्सों से घिरा हैं एक तरफ उसकी आरती मौसी है, जिसकी प्रायः खेदपूर्वक वापस लौट आनेवाली कहानियों का अन्त और आरम्भ शशांक को कभी समझ मे। नहीं आता। दूसरी तरफ उसकी दादी की कहानियाँ हैं - दादी के अपने घुटन-भरे बीते जीवन की, बार-बार उन्हीं शब्दों और मुहावरों में दोहराई जानी कहानियाँ, जिनका कोई शब्द कभी अपनी जगह नहीं बदलता। लेकिन सबसे विचित्र कहानियाँ उस तक पहुँचती हैं जतीन दा के मार्फत, जिनसे वह बिना किसी और के जाने, हर शनिवार विक्टोरिया मेमोरियल के मैदान में मिलता है। ये सभी कहानियाँ आतंक और हिंसा के जीवन से जुड़ी कहानियाँ हैं जिनके बारे में हर बार शशांक को सन्देह होता है कि वे आत्मकथात्मक हैं, पर इस सन्देह के निराकरण का उसके पास कोई रास्ता नहीं है। तभी शशांक के जीवन में वह भयानक घटना घटती है जिससे उसके जीवन के परखच्चे उड़ जाते हैं। ऐसे समय में यह कथा-अमृत ही है जो उसे इस आघात से उतारता है; साथ ही उसे संजीवन मिलता है उस सरल, निश्छल, अद्भुत प्रेम और सहयोग से जो सब कुछ के बावजूद दुनिया को बचाए रखता आ रहा है। और तब उसकी अपनी यह कथा, जो आरती मोसी द्वारा लिखी जा रही थी, पुनः जीवित हो उठती है - कथामृत के आस्वादन से जागी कथा।
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