000 | 04711nam a2200265Ia 4500 | ||
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003 | IN-BdCUP | ||
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008 | 230413s2023 000 0 hin | ||
020 | _a9788126730957 | ||
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_beng _cIN-BdCUP |
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041 | _ahin | ||
082 |
_a305 _bSON |
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100 |
_aSoni, Madan _eEditor |
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245 | 0 |
_aAnt aur arambh : _bbisvin shtabdi ke ant pr vimarsh / _cSoni, Madan (Ed.) & सोनी, मदन (सं) |
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260 |
_aNew Delhi : _bRajkamal Prakashan, _c2018. |
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300 |
_a279 p. ; _c20 cm. |
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520 | _aकलाओं में भारतीय आधुनिकता के एक मूर्धन्य सैयद हैदर रज़ा एक अथक और अनोखे चित्रकार तो थे ही उनकी अन्य कलाओं में भी गहरी दिलचस्पी थी। विशेषत: कविता और विचार में। वे हिन्दी को अपनी मातृभाषा मानते थे और हालाँकि उनका फ्रेंच और अँग्रेज़ी का ज्ञान और उन पर अधिकार गहरा था, वे, फ्रांस में साठ वर्ष बिताने के बाद भी, हिन्दी में रमे रहे। यह आकस्मिक नहीं है कि अपने कला-जीवन के उत्तरार्द्ध में उनके सभी चित्रों के शीर्षक हिन्दी में होते थे। वे संसार के श्रेष्ठ चित्रकारों में, २०-२१वीं सदियों में, शायद अकेले हैं जिन्होंने अपने सौ से अधिक चित्रों में देवनागरी में संस्कृत, हिन्दी और उर्दू कविता में पंक्तियाँ अंकित कीं। बरसों तक मैं जब उनके साथ कुछ समय पेरिस में बिताने जाता था तो उनके इसरार पर अपने साथ नवप्रकाशित हिन्दी कविता की पुस्तकें ले जाता था : उनके पुस्तक-संग्रह में, जो अब दिल्ली स्थित रज़ा अभिलेखागार का एक हिस्सा है, हिन्दी कविता का एक बड़ा संग्रह शामिल था। रज़ा की एक चिन्ता यह भी थी कि हिन्दी में कई विषयों में अच्छी पुस्तकों की कमी है। विशेषत: कलाओं और विचार आदि को लेकर। वे चाहते थे कि हमें कुछ पहल करना चाहिये। २०१६ में साढ़े चौरानवे वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु के बाद रज़ा फाउण्डेशन ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए हिन्दी में कुछ नये किस्म की पुस्तकें प्रकाशित करने की पहल रज़ा पुस्तक माला के रूप में की है, जिनमें कुछ अप्राप्य पूर्व प्रकाशित पुस्तकों का पुनर्प्रकाशन भी शामिल है। उनमें गांधी, संस्कृति-चिन्तन, संवाद, भारतीय भाषाओं से विशेषत: कला-चिन्तन के हिन्दी अनुवाद, कविता आदि की पुस्तकें शामिल की जा रही हैं। 'आमुख' से | ||
650 | _aHindi literature | ||
650 | _aAnt aur arambh: bisvin shtabdi ke ant pr vimarsh | ||
650 | _aअंत और आरम्भ : बीसवी शताब्दी के अंत पर विमर्श | ||
700 |
_aसोनी, मदन _eसंपादक |
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880 |
_6245 _aअंत और आरम्भ : _bबीसवी शताब्दी के अंत पर विमर्श / |
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942 |
_2ddc _cBK |
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999 |
_c44042 _d44042 |