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आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास /

Adhunik bharat ka aarthik itihas / Shattacharya, Sabyasachi & भटाचार्य, सब्यसाची

By: Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi : Rajkamal Prakashan, 2017.Description: 198 p. ; 20 cmISBN:
  • 8126700807
Subject(s): DDC classification:
  • 330.954035 BHA
Summary: प्रो सब्यसाची भट्टाचार्य देश के जाने-मने इतिहासकार हैं, जिनके अध्ययन का मुक्य क्षेत्र औपनिवेशिक भारत रहा है! उनकी पुस्तक ब्रिटिश राज के वित्तीय आधार काफी चर्चित और प्रशंसित पुस्तकों में से है! प्रो भट्टाचार्य ने आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास में औपनिवेशिक भरा के आर्थिक विकास की रुपरेखा प्रस्तुतु की है! लेकिन यह एक जटिल कार्य था! औपनिवेशिक भारत के आर्थिक इतिहासकारों के जो कई घराने हैं, उनके विकास और वैशिष्ट्य का मूल्यांकन किये बिना विषय के साथ न्याय नहीं किया जा सकता था! प्रो भट्टाचार्य ने इस शताब्दी की सीमाओं में विभिन्न ईटीःआश्रीख़ विचारधाराओं का आंकलन करते हुए अनेक बुनियादी सवाल उठाये हैं और बाद के अध्यायों में उन सवालों पर विस्तार से विचार किया है! भारत का अर्थ्नितिक उपनिवेशीकरण कैसे हुआ, इस प्रश्न को उन्होंने विभिन्न कोणों से देखा-परखा है और इस प्रसंग में ब्रिटिश सर्कार की विभिन्न नीतियों के अच्छे या बुरे परिणामों को सामने रखा है, साथ ही उन नीतियों की सम्पूर्ण रूप से और साम्राज्यवादी राष्ट्र के चरित्र को साधारण रूप से समझने की चेष्टा भी की है! उल्लेखनीय है की प्रो भट्टाचार्य ने उपनिवेशवादी शोषण के चरित्र और विद्युपित आर्थिक विकास को विशेष रूप से रेखांकित किया है! आधुनिक भारत के आर्थिक विकास पर रमेशचंद्र दत्त तथा रजनीपाम दत्त की पुस्तकें काफी पहले प्रकाशित हुई थी, लेकिन प्रस्तुत पुस्तक उनकी पुस्तकों से आईटी अर्थ में भिन्न है कि इसमें इस विषय पर किये गए अद्यतन शोधों तथा अभिलेखागार से उपलब्ध सामग्री का भरपूर उपयोग किया गया है! यह सामग्री उपर्युक्त पुस्तकों के लेखन के समय उपलब्ध नहीं थी!
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Book Book Ranganathan Library 330.954035 BHA (Browse shelf(Opens below)) Available 036322

प्रो सब्यसाची भट्टाचार्य देश के जाने-मने इतिहासकार हैं, जिनके अध्ययन का मुक्य क्षेत्र औपनिवेशिक भारत रहा है! उनकी पुस्तक ब्रिटिश राज के वित्तीय आधार काफी चर्चित और प्रशंसित पुस्तकों में से है! प्रो भट्टाचार्य ने आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास में औपनिवेशिक भरा के आर्थिक विकास की रुपरेखा प्रस्तुतु की है! लेकिन यह एक जटिल कार्य था! औपनिवेशिक भारत के आर्थिक इतिहासकारों के जो कई घराने हैं, उनके विकास और वैशिष्ट्य का मूल्यांकन किये बिना विषय के साथ न्याय नहीं किया जा सकता था! प्रो भट्टाचार्य ने इस शताब्दी की सीमाओं में विभिन्न ईटीःआश्रीख़ विचारधाराओं का आंकलन करते हुए अनेक बुनियादी सवाल उठाये हैं और बाद के अध्यायों में उन सवालों पर विस्तार से विचार किया है! भारत का अर्थ्नितिक उपनिवेशीकरण कैसे हुआ, इस प्रश्न को उन्होंने विभिन्न कोणों से देखा-परखा है और इस प्रसंग में ब्रिटिश सर्कार की विभिन्न नीतियों के अच्छे या बुरे परिणामों को सामने रखा है, साथ ही उन नीतियों की सम्पूर्ण रूप से और साम्राज्यवादी राष्ट्र के चरित्र को साधारण रूप से समझने की चेष्टा भी की है! उल्लेखनीय है की प्रो भट्टाचार्य ने उपनिवेशवादी शोषण के चरित्र और विद्युपित आर्थिक विकास को विशेष रूप से रेखांकित किया है! आधुनिक भारत के आर्थिक विकास पर रमेशचंद्र दत्त तथा रजनीपाम दत्त की पुस्तकें काफी पहले प्रकाशित हुई थी, लेकिन प्रस्तुत पुस्तक उनकी पुस्तकों से आईटी अर्थ में भिन्न है कि इसमें इस विषय पर किये गए अद्यतन शोधों तथा अभिलेखागार से उपलब्ध सामग्री का भरपूर उपयोग किया गया है! यह सामग्री उपर्युक्त पुस्तकों के लेखन के समय उपलब्ध नहीं थी!

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