कामुकता का उत्सव: प्रणय, वासना और आनंद की कहानियाँ / जयंती रंगनाथन (संपादक)
Kamukata ka utsav: pranay, vasana aur anand ki kahaniya / Jayanti Ranganathan (ed.)
Material type: TextLanguage: English Publication details: New Delhi: Vaani Prakashan Group, 2020.Edition: 1st EditionDescription: 272p.; 30 cm. PBISBN:- 9789389915952
- 891.4331 RAN
Item type | Current library | Collection | Call number | Status | Barcode | |
---|---|---|---|---|---|---|
Book | Ranganathan Library | Hindi | 891.4331 RAN (Browse shelf(Opens below)) | Available | 048897 |
Browsing Ranganathan Library shelves, Collection: Hindi Close shelf browser (Hides shelf browser)
891.433083 KAJ Hindi upanyas mein stri vimarsh ki parampara aur maitreyi pushpa ke upanyas / | 891.433092 DHI Harivansh Rai Bachhan ki aatamkatha / | 891.433092 JAA Premchand/ | 891.4331 RAN Kamukata ka utsav: pranay, vasana aur anand ki kahaniya / | 891.4332 KAU Nayee ummeed ki duniya | 891.433509 APO Yah premchand hain / | 891.43372 KHE Chhinnamasta / |
प्रकृति अपना हर काम आनन्द से करती है। हर मौसम, हर दिन और हर रात में एक प्रवाह है, आनन्द है। प्रकृति का हर जीव नयी संरचना मुग्ध होकर करता है। मुग्धता कभी गलत नहीं हो सकती। इसे इस तरह से समझना ज़रूरी है कि जिस क्रीड़ा से स्त्री और पुरुष निकट आते हैं, दो से एक बनते हैं और आनन्द से विभोर होते हैं, उसमें सही-गलत क्या हो सकता है? इश्क और वासना के बीच की दूरी सूत भर है। दोनों ही प्रकृति दत्त है। इन्सान की ज़रूरत भी। जब तक हम इस विषय पर खुलकर बोलेंगे नहीं, मनपसन्द लिखेंगे नहीं, पढ़ेंगे नहीं, तो अलमारी के बन्द कोनों और बिस्तर में तकिये के नीचे की तलहटी में अँधेरा बढ़ता ही जायेगा। ‘कामुकता का उत्सव : जीवन में प्रणय, वासना और आनन्द' सम्पादक : जयंती रंगनाथन संकलन में संकलित कहानीकार मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रत्यक्षा सिन्हा, जयश्री रॉय, प्रियदर्शन, जयंती रंगनाथन, दिव्य प्रकाश दुबे, कमल कुमार, अंकिता जैन, विपिन चौधरी, गौतम राजऋषि, अणुशक्ति, नरेन्द्र सैनी, सोनी सिंह, प्रियंका ओम, इरा टाक, रजनी मोरवाल, डॉ. रूपा सिंह, अनु सिंह चौधरी, दुष्यन्त
There are no comments on this title.