सीन : 75 /
Seen : 75 / Raza, Rahi Masoom & रज़ा, राही मासूम
Material type: TextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi : Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2012.Description: 129 p. ; 18 cmISBN:- 8126708123
- 808.87 RAZ
Item type | Current library | Call number | Status | Barcode | |
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Book | Ranganathan Library | 808.87 RAZ (Browse shelf(Opens below)) | Available | 036081 |
सीन: 75 ''अली अमजद से मिलाया था न मैंने तुमको ?'' ''वह राइटर ?'' ''हाँ !'' ''हाँ-हाँ यार, याद आ गया। बड़ा मज़ेदार आदमी है।'' ''उसी का तो चक्कर है।'' हरीश ने कहा, ''आज ही प्रीमियर है। और वह मर गया। समझ में नहीं आता क्या करूँ ?'' ''मर कैसे गया ?'' ''पता नहीं। में अभी वहीं जा रहा हूँ।'' आईने में उसने अपने चेहरे को उदास बनाकर देखा। उसे अपना उदास चेहरा अच्छा नहीं लगा। उसने आँखों को और उदास कर लिया... अली अजमद मरा नहीं, कत्ल किया गया है। और उसे कत्ल किया है इस जालिम समाज, बेमुरव्वत हालात और इस बेदर्द फिल्म इंडस्ट्री ने... उसने गरदन झटक दी। बयान का यह स्टाइल उसे अच्छा नहीं लगा। मेरा दोस्त अली अमजद एक आदमी की तरह जिया और किसी हिन्दी फिल्म की तरह बिला वज़ह खत्म हो गया।... दाढ़ी बनाते-बनाते उसने अपना बयान तैयार कर लिया। और इसलिए जब वह अली अमजद के फ्लैट में दाखिल हुआ तो वह बिल्कुल परेशान नहीं था। हिन्दी फिल्म उद्योग की चमचमाती दुनिया की कुछ स्याह और उदास छवियों को बेपर्दा करता उपन्यास।
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