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तीन साल /

Teen Saal / Chekhov, Anton & चेख़व, एंतोन

By: Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi : Rajkamal Prakashan, 2018.Description: 124 p. ; 15 cmISBN:
  • 8126700068
Subject(s): DDC classification:
  • 891.433 CHE
Summary: तीन साल आदर्श और यथार्थ के द्वन्द्व से परिपूर्ण एक मर्मस्पर्शी उपन्यास है, जिसका कथानायक एक ऐसा नौजवान है जो संस्कारों की घुटन और थोथे हवाई आदर्शों की दुनिया में पला होने के कारण कभी अपने वातावरण से समझौता नहीं कर पाता। 'विवाह और प्रेम', 'प्रेम और विवाह', 'सुखी गार्हस्थ्य जीवन'-आखिर ये सब भ्रमोत्पादक विचार ही हैं जिनमें वह काफी समय तक उलझा रहता है, और अन्तत: इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि 'व्यक्ति को खुशी के विचारों को हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए...सुख नाम की कोई चीज नहीं है...।' और तब वह पुराने ढर्रे के जीवन का आदि होते हुए भविष्य का इन्तजार करने लगता है; क्योंकि 'कौन जानता है कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है!' इस उपन्यास के जरिए लेखक ने परम्परा से चली आती आदर्शमूलक भ्रान्तियों पर तीव्र प्रहार किया है। तीन साल उन्नीसवीं सदी के महान रूसी उपन्यासकार एन्तोन चेखव की अमर कृति है, जिसका विश्व-साहित्य में सानी नहीं...।
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Book Book Ranganathan Library 891.433 CHE (Browse shelf(Opens below)) Available 035987

तीन साल आदर्श और यथार्थ के द्वन्द्व से परिपूर्ण एक मर्मस्पर्शी उपन्यास है, जिसका कथानायक एक ऐसा नौजवान है जो संस्कारों की घुटन और थोथे हवाई आदर्शों की दुनिया में पला होने के कारण कभी अपने वातावरण से समझौता नहीं कर पाता। 'विवाह और प्रेम', 'प्रेम और विवाह', 'सुखी गार्हस्थ्य जीवन'-आखिर ये सब भ्रमोत्पादक विचार ही हैं जिनमें वह काफी समय तक उलझा रहता है, और अन्तत: इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि 'व्यक्ति को खुशी के विचारों को हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए...सुख नाम की कोई चीज नहीं है...।' और तब वह पुराने ढर्रे के जीवन का आदि होते हुए भविष्य का इन्तजार करने लगता है; क्योंकि 'कौन जानता है कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है!' इस उपन्यास के जरिए लेखक ने परम्परा से चली आती आदर्शमूलक भ्रान्तियों पर तीव्र प्रहार किया है। तीन साल उन्नीसवीं सदी के महान रूसी उपन्यासकार एन्तोन चेखव की अमर कृति है, जिसका विश्व-साहित्य में सानी नहीं...।

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