Hindu sabhyata / (Record no. 42933)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04730nam a2200265Ia 4500
001 - CONTROL NUMBER
control field 37885
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field IN-BdCUP
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20230421155720.0
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION
fixed length control field 230413s2023 000 0 hin
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 8126705035
040 ## - CATALOGING SOURCE
Language of cataloging eng
Transcribing agency IN-BdCUP
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title hin
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 294.5
Item number MUK
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Mukharji, Radhakumud
245 #0 - TITLE STATEMENT
Title Hindu sabhyata /
Statement of responsibility, etc. Mukharji, Radhakumud & मुखर्जी, राधाकुमुद
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi :
Name of publisher, distributor, etc. Rajkamal Prakashan,
Date of publication, distribution, etc. 2016.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 336 p. ;
Dimensions 20 cm.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. हिन्दू सभ्यता प्रख्यात इतिहासकार प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी की सर्वमान्य अंग्रेजी पुस्तक हिंदू सविलिजेशन का अनुवाद है। अनुवाद किया है इतिहास और पुरातत्व के सुप्रतिष्ठ विद्वान डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल ने। इसलिए अनूदित रूप में भी यह कृति अपने विषय की अत्यंत प्रामाणिक पुस्तकों में सर्वोपरि है। हिंदू सभ्यता के आदि स्वरूप के बारे में प्रो. मुखर्जी का यह शोधाध्ययन ऐतिहासिक तिथिक्रम से परे प्रागैतिहासिक, ऋग्वैदिक, उत्तरवैदिक और वेदोत्तर काल से लेकर इतिहास के सुनिश्चित तिथिक्रम के पहले दो सौ पचहत्तर वर्षों (ई. पू. 650-325) पर केन्द्रित है। इसके लिए उन्होंने ऋग्वेदीय भारतीय मानव के उपलब्ध भौतिक अवशेषों तथा उसके द्वारा प्रयुक्त विभिन्न प्रकार की उत्खनित सामग्री का सप्रमाण उपयोग किया है। वस्तुतः प्राचीन सभ्यता या इतिहास-विषयक प्रामाणिक लेखन उपलब्ध अलिखित साक्ष्यों के बिना संभव ही नहीं है। यह मानते हुए भी कि भारत में साहित्य की रचना लिपि से पहले हुई और वह दीर्घकाल तक कंठ- परंपरा में जीवित रहकर 'श्रुति' कहलाया जाता रहा, उसे भारतीय इतिहास की प्राचीनतम साक्ष्य-सामग्री नहीं माना जा सकता। यों भी यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि लिपि, लेखन-कला, शिक्षा या साहित्य मानव-जीवन में तभी आ पाए, जबकि सभ्यता ने अनेक शताब्दियों की यात्रा तय कर ली। इसलिए प्रागैतिहासिक युग के औजारों, हथियारों, बर्तनों और आवासगृहों तथा वैदिक और उत्तरवैदिक युग के वास्तु, शिल्प, चित्र, शिलालेख, ताम्रपट्ट और सिक्कों आदि वस्तुओं को ही अकाट्य ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाता है। कहना न होगा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में अध्ययनरत शोध छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी इस कृति के निष्कर्ष इन्हीं साक्ष्यों पर आधारित हैं।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Hindi literature
Topical term or geographic name entry element Hindu sabhyata
Topical term or geographic name entry element हिन्दू सभ्यता
700 ## - ADDED ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name मुखर्जी, राधाकुमुद
880 ## - ALTERNATE GRAPHIC REPRESENTATION
Linkage 245
a हिन्दू सभ्यता /
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Book
Holdings
Withdrawn status Lost status Source of classification or shelving scheme Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Source of acquisition Cost, normal purchase price Bill number Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Actual Cost, replacement price Bill Date Koha item type
    Dewey Decimal Classification     Ranganathan Library Ranganathan Library 24/05/2019 Raj Kamal Prakashan 650.00 BR6562   294.5 MUK 036314 13/04/2023 455.00 25/01/2019 Book
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