Gorakhbani : moolpath evam vyakhya /

Singh, Uday Pratap

Gorakhbani : moolpath evam vyakhya / Uday Pratap Singh - 1st Edition - New Delhi: Vaani Prakashan Group, 2022. - 220p.; 30 cm. HB

गोरखबानी: मूलपाठ एवं व्याख्या - आज के कथा-कहानी व निखालिस आलोचना के युग में एक हज़ार वर्ष पूर्व की 'गोरखबानी' (हिन्दी) को पुस्तक रूप में प्रस्तुत करना अनोखा कार्य जैसा लगता है। प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी के पहले कवि गोरखनाथ की बानियों को सरलता से बोधगम्य कराने का अकादमिक प्रयास है प्रायः समझा जाता रहा है कि योग की तरह योग से सम्बन्धित साहित्य भी जटिल होगा। इस रूढ़िबद्ध धारणा को निर्मूल करने का सराहनीय प्रयास पुस्तक में दिखता है। लेखक ने सरल भाषा में पारिभाषिक शब्दों को इतनी सहजता से प्रस्तुत किया है कि 'योगबन्ध' सहजतः टूटते गये और अर्थ खुलते गये। पुस्तक निर्माण में वर्षों का समय लगा होगा। निस्सन्देह रूप से पुस्तक अकादमिक ऊँचाई को स्पर्श करती है। वर्तमान समय में जीवन की सफलता व निरोग काया के लिए गोरखबानी की समझ महत्त्वपूर्ण बन जाती है। उच्च अध्ययन में गोरखबानी आज लोकप्रिय होती जा रही है। उस लोकप्रियता को बढ़ाने में पुस्तक सहायक होगी - ऐसा विश्वास है।

9789355180421

181.4152 / SIN
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