Shah aur maat : Diary /
Yadav, Rajendra
Shah aur maat : Diary / Yadav, Rajendra & यादव, राजेन्द्र - New Delhi : Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2018. - 190 p. ; 18 cm.
शह और मात शह और मात दूसरे प्यार की जटिल और कटु कहानी है, जहाँ अपराध-भावना से पीड़ित प्रत्येक पात्र अपना पुनरान्वेषण करता है और अंत में अपने को एक यंत्रणादायक भ्रांति और छलना से घिरा पाता है। उपन्यास की भाषा अपनी ताजश्गी, अभिव्यंजना और शक्ति के लिए बार-बार प्रशंसित हुई है। इस उपन्यास को पढ़ना एक अद्भुत - लेकिन बेहद आत्मीय - अनुभव से गुशरना है, जो अपने को देखने की नई दृष्टि देता है। शह और मात...एक शुद्ध मनोवैज्ञानिक उपन्यास है, इसमें दो व्यक्तियों के प्रति तीसरे व्यक्तित्व (यानी सुजाता) की प्रतिक्रियाओं का वर्णन है। अचरज की बात यह है कि देशकाल की स्थितियों से प्रायः कोई मदद न लेते हुए भी लेखक इस उपन्यास को इतना नाटकीय और सजीव बना देता है ! सुजाता की उदय से सम्बद्ध दिलचस्पी क्रमशः अधिक तीखी और गहरी होती जाती है। यह दिलचस्पी बहुत कुछ बौद्धिक क़िस्म की है, उपन्यास की नाटकीयता भी एक खास तरह का बौद्धिक मनोवैज्ञानिक विनोद करती है। उपन्यास की नाटकीयता और रोचकता का एकमात्र रहस्य उसकी मनोवैज्ञानिक सूक्ष्मता एवं यथार्थ अनुकारिता है। उपन्यास का प्रत्येक पन्ना रोचक है।
8171199739
Hindi literature
Shah aur maat: Diary
शाह और मात : सुजाता की डायरी
891.433 / YAD
Shah aur maat : Diary / Yadav, Rajendra & यादव, राजेन्द्र - New Delhi : Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2018. - 190 p. ; 18 cm.
शह और मात शह और मात दूसरे प्यार की जटिल और कटु कहानी है, जहाँ अपराध-भावना से पीड़ित प्रत्येक पात्र अपना पुनरान्वेषण करता है और अंत में अपने को एक यंत्रणादायक भ्रांति और छलना से घिरा पाता है। उपन्यास की भाषा अपनी ताजश्गी, अभिव्यंजना और शक्ति के लिए बार-बार प्रशंसित हुई है। इस उपन्यास को पढ़ना एक अद्भुत - लेकिन बेहद आत्मीय - अनुभव से गुशरना है, जो अपने को देखने की नई दृष्टि देता है। शह और मात...एक शुद्ध मनोवैज्ञानिक उपन्यास है, इसमें दो व्यक्तियों के प्रति तीसरे व्यक्तित्व (यानी सुजाता) की प्रतिक्रियाओं का वर्णन है। अचरज की बात यह है कि देशकाल की स्थितियों से प्रायः कोई मदद न लेते हुए भी लेखक इस उपन्यास को इतना नाटकीय और सजीव बना देता है ! सुजाता की उदय से सम्बद्ध दिलचस्पी क्रमशः अधिक तीखी और गहरी होती जाती है। यह दिलचस्पी बहुत कुछ बौद्धिक क़िस्म की है, उपन्यास की नाटकीयता भी एक खास तरह का बौद्धिक मनोवैज्ञानिक विनोद करती है। उपन्यास की नाटकीयता और रोचकता का एकमात्र रहस्य उसकी मनोवैज्ञानिक सूक्ष्मता एवं यथार्थ अनुकारिता है। उपन्यास का प्रत्येक पन्ना रोचक है।
8171199739
Hindi literature
Shah aur maat: Diary
शाह और मात : सुजाता की डायरी
891.433 / YAD