Chhayawad /
Singh, Namvar
Chhayawad / Singh, Namvar & सिंह, नामवर - New Delhi : Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2007. - 154 ; 18 cm.
छायावाद पर अनेक पुस्तकों के रहते हुए भी यह पुस्तक दृष्टि की मौलिकता; विवेचन की स्पष्टता तथा आलोचना-शैली की सर्जनात्मकता के लिए पिछले दशक की सबसे लोकप्रिय पुस्तक रही है! लेखक के अनुसार इस पुस्तक में छायावाद की काव्यगत विशेषताओं को स्पष्ट करते हुए छाया-चित्रों में निहित सामाजिक सत्य का उदघाटन किया गया है! पुस्तक में कुल बारह अध्याय हैं जिनके शीर्षक क्रमशः इस प्रकार है : प्रथम राशी, केवल में केवल में, एक कर दे पृथ्वी आकाश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश, देवि मान-सहचरी प्राण, जागो फिर एक बार, कल्पना के कानन की रानी, रूप विन्यास, पद विन्यास, खुल गए छंद के बंध, जिसके आगे रह नहीं, तथा परंपरा और प्रगति!
8126707356
Chayavaad
छायावाद
891.434 / SIN
Chhayawad / Singh, Namvar & सिंह, नामवर - New Delhi : Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2007. - 154 ; 18 cm.
छायावाद पर अनेक पुस्तकों के रहते हुए भी यह पुस्तक दृष्टि की मौलिकता; विवेचन की स्पष्टता तथा आलोचना-शैली की सर्जनात्मकता के लिए पिछले दशक की सबसे लोकप्रिय पुस्तक रही है! लेखक के अनुसार इस पुस्तक में छायावाद की काव्यगत विशेषताओं को स्पष्ट करते हुए छाया-चित्रों में निहित सामाजिक सत्य का उदघाटन किया गया है! पुस्तक में कुल बारह अध्याय हैं जिनके शीर्षक क्रमशः इस प्रकार है : प्रथम राशी, केवल में केवल में, एक कर दे पृथ्वी आकाश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश, देवि मान-सहचरी प्राण, जागो फिर एक बार, कल्पना के कानन की रानी, रूप विन्यास, पद विन्यास, खुल गए छंद के बंध, जिसके आगे रह नहीं, तथा परंपरा और प्रगति!
8126707356
Chayavaad
छायावाद
891.434 / SIN