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जहाज का पंछी /

Jahaj ka panchhi / Joshi, Ilachandra & जोशी, इलाचंद्र

By: Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi : Lokbharti Prakashan, 2017.Description: 332 p. ; 18 cmISBN:
  • 9788180312649
Subject(s): DDC classification:
  • 891.433 JOS
Summary: श्री इलाचन्द्र जोशी हिन्दी के अत्यन्त प्रतिष्ठित उपन्यासकार थे । उनके प्राय: सभी उपन्यासों का गठन हमारे मध्यवर्गीय समाज के जिन पात्रों के आधार पर हुआ है, वे मनोवैज्ञानिक सार्थकता के लिए सर्वथा अद्वितीय है । 'जहाज का पक्षी' एक ऐसे मध्यवर्गीय नवयुवक के परिस्थिति-प्रताड़ित जीवन की कहानी है, जो कलकत्ता के विषमताजनित घेरे में फँसकर इधर-उधर भटकने को विवश हो जाता है, किन्तु उसकी बौद्धिक चेतना उसे रह-रह कर नित-नूतन पथ अपनाने को प्रेरित करती है । ऐसा कौन-सा काम है, जो उसने अपने अन्तस की सन्तुष्टि के लिए न अपनाया हो । जीवन की उदात्तता का पक्षपाती होते हुए भी वह 'जहाज का पंछी' के समान इत-उत भटककर फिर अपने उसी उद्दिष्ट पथ का राही बन जाता है, जिसे अपनाने की साध वह अपने अन्तर्मन में सँजोये हुए था । 'जहाज का पंछी' में आज के सुशिक्षित किन्तु महत्वाकाँक्षी तथा बौद्धिक चेतना से आक्रान्त बहुत से नवयुवक अपनी ही जीवनकथा अंकित पाएँगे । यह एक दर्पण है, जिसमें हम अपने तरुण वर्ग और नागरिक जीवन की झाँकी पा सकते हैं ।
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Book Book Ranganathan Library 891.433 JOS (Browse shelf(Opens below)) Available 036235

श्री इलाचन्द्र जोशी हिन्दी के अत्यन्त प्रतिष्ठित उपन्यासकार थे । उनके प्राय: सभी उपन्यासों का गठन हमारे मध्यवर्गीय समाज के जिन पात्रों के आधार पर हुआ है, वे मनोवैज्ञानिक सार्थकता के लिए सर्वथा अद्वितीय है । 'जहाज का पक्षी' एक ऐसे मध्यवर्गीय नवयुवक के परिस्थिति-प्रताड़ित जीवन की कहानी है, जो कलकत्ता के विषमताजनित घेरे में फँसकर इधर-उधर भटकने को विवश हो जाता है, किन्तु उसकी बौद्धिक चेतना उसे रह-रह कर नित-नूतन पथ अपनाने को प्रेरित करती है । ऐसा कौन-सा काम है, जो उसने अपने अन्तस की सन्तुष्टि के लिए न अपनाया हो । जीवन की उदात्तता का पक्षपाती होते हुए भी वह 'जहाज का पंछी' के समान इत-उत भटककर फिर अपने उसी उद्दिष्ट पथ का राही बन जाता है, जिसे अपनाने की साध वह अपने अन्तर्मन में सँजोये हुए था । 'जहाज का पंछी' में आज के सुशिक्षित किन्तु महत्वाकाँक्षी तथा बौद्धिक चेतना से आक्रान्त बहुत से नवयुवक अपनी ही जीवनकथा अंकित पाएँगे । यह एक दर्पण है, जिसमें हम अपने तरुण वर्ग और नागरिक जीवन की झाँकी पा सकते हैं ।

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